बंगलूर में ख़ेले गए दिन-रात्री के एक-दिवसीय मुकाबले में भारतीय रणबाँकुरों ने 6 विकिटों से जीत हासिल करके आख़िरकार दक्षिण-अफ़्रीका के विजय रथ को रोक ही दिया और इस श्रृंख़ला में 1-1 से अपनी पकड़ बराबर कर ली। दक्षिण-अफ़्रीका अब तक 20 एक-दिवसीय मुकाबलों में लगातार विजयी होती हुई आस्ट्रेलिया के 21 लगातार जीतों के कीर्तीमान की ओर बढ रही थी, लेकिन भारत आकर उसकी विजय यात्रा उसी प्रकार समाप्त हो गई जिस प्रकार आस्ट्रेलिया की 16 टेस्ट मैचों की हुई थी।

घरेलू मैदान पर पहली बार कप्तानी कर रहे राहुल द्रविड़ ने टॉस जीत कर दक्षिण-अफ़्रीका को टर्न लेती हुई पिच पर पहले बल्लेबाज़ी करने के लिए आमन्त्रित किया। चाल कामयाब रही और पठान की बेहतरीन गेंदबाज़ी की बदौलत दक्षिण-अफ़्रीकी टीम 20 रन के स्कोर पर 3 विकेट खो कर पानी मांग रही थी। 100 रन के स्कोर तक पहुँचते-पहुँचते उनकी आधी से ज्यादा टीम वापस पैविलियन लौट चुकी थी। मुरली कार्तिक ने अपने 10 ओवरों में केवल 16 रन देकर दिख़ाया कि स्पिन गेंन्दबाज़ी कैसे की जाती है, हांलाकि कार्तिक को कोई विकेट नहीं मिला। हरभजन और सहवाग ने 2-2 विकेट झटके जबकि आगरकर और युवराज ने 1-1 विकेट लेकर अपना योगदान दिया। दक्षिण-अफ़्रीका अपने 50 ओवरों में केवल 169 का स्कोर ही बना पाई।

भारतीय बल्लेबाज़ी की शुरुआत गौतम गम्भीर और सचिन तेंदुलकर ने की। दक्षिण-अफ़्रीकी बल्लेबाज़ों की असफ़लता के बावजूद उनके गेंदबाज़ों ने हार नहीं मानी, भारत का ख़ाता 22 गेंदों बाद ख़ुला और 13 के स्कोर पर ही उन्होंने सचिन तेंदुलकर को 2 रन के निजी स्कोर पर वापस भेज दिया। गौतम गम्भीर ने पारी सम्भालनी चाही पर सत्रहवें ओवर में वे जस्टिन ओन्टोंग द्वारा 38 के निजी स्कोर पर रन आउट कर दिये गए। पठान को पुनः तीसरे नंबर पर भेजा गया और सहवाग को ईस बार चौथे नंबर पर भेजा गया। पठान और सहवाग ने 53 रनों की साझेदारी निभाई और 105 के स्कोर पर पठान के आउट होने पर कप्तान राहुल द्रविड़ ने आकर बल्लेबाज़ी की कमान सम्भाली और सहवाग के साथ 49 रन बनाए। 154 के स्कोर पर जब कप्तान साहब 10 रन बनाकर आउट हुए तब भारत को जीत के लीए केवल 16 रनों की आवश्यकता थी जो कि सहवाग और युवराज ने बना लिए। ईस मैच में सहवाग ने अविजीत 77 रन बना कर फ़ार्म में वापसी की, मेरे अनुसार यह अभी कहना अभी ठीक नहीं होगा। यह तो आने वाले अगले मैच और उनमें सहवाग का प्रदर्शन ही साबित करेगा कि फ़ार्म में वापसी हुई कि नहीं!! पठान को गेंद और बल्ले से बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मैन-आफ़-द-मैच चुना गया।

बहुत से लोग भारत की विजय पर अत्यधिक प्रसन्न हो रहे होंगे, जबकि मेरा यह मानना है कि श्री-लंका की टीम जब यहाँ आई थी तो उनमें एक तरह से जंग लगा हुआ था क्योंकि उन्होने कुछ समय से कोई मैच नहीं खेला था। लेकिन दक्षिण-अफ़्रीका की टीम यहाँ विजय रथ पर सवार होकर आई है और रैंकिंग कुछ भी कहे, मैं दक्षिण-अफ़्रीका को श्री-लंका से बेहतर टीम मानता हूँ। ईसलिए जब भारतीय टीम यह श्रृंख़ला जीत लेगी, तभी मैं मानूँगा कि वाकई टीम के प्रदर्शन में सुधार हुआ है।

अब इस श्रृंख़ला में तीन मैच रह गए हैं जो कि चेन्नई(22 नवंबर), कोलकाता(25 नवंबर) और मुम्बई(28 नवंबर) में ख़ेले जाने हैं और तीनों ही दिन-रात्री के मुकाबलें हैं।